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धारा 34 का लागू न होना | चर्लीपल्ली चेलिमिन बाई साहेब बनाम आंध्र प्रदेश राज्य | Section 34 not to apply | Charlipalli Chelimin Baisaheb Vs. State of Andhra Pradesh

धारा 34 का लागू न होना | चर्लीपल्ली चेलिमिन बाई साहेब बनाम आंध्र प्रदेश राज्य | Section 34 not to apply | Charlipalli Chelimin Baisaheb Vs. ...

धारा 34 का लागू न होना | चर्लीपल्ली चेलिमिन बाई साहेब बनाम आंध्र प्रदेश राज्य | Section 34 not to apply | Charlipalli Chelimin Baisaheb Vs. State of Andhra Pradesh


चर्लीपल्ली चेलिमिन बाई साहेब बनाम आंध्र प्रदेश राज्य(सन 2003)( Charlipalli Chelimin Baisaheb Vs. State of Andhra Pradesh (2003)), के वाद में दो महिलाओं अर्थात् मृतक की पत्नी अभियुक्त/अपीलार्थी की पत्नी के बीच नल से पानी लेने के सम्बन्ध में कहा-सुनी हो गई । कहा-सुनी बढ़ते-बढ़ते लड़ाई (fight) में परिवर्तित हो गई, जिसमें दोनों परिवारों के सदस्य शामिल हो गए और किसी व्यक्ति ने मृतक को छुरा घोंप दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई ।

उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि लड़ाई अचानक बिना किसी पूर्व-योजना (pre-planning) के हुई थी अतः 'सामान्य आशय' (Common intention) दर्शाने वाली सामग्री के अभाव में इस प्रकरण में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 34 को लागू करना सम्भव नहीं है ।

सेवाराम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य(सन 2008)( Sewaram Vs. State of Uttar Pradesh (2008)),' के वाद में उच्चतम न्यायालय ने एक बार पुनः स्पष्ट किया कि धारा 34 के प्रावधान संयुक्त आपराधिक दायित्व के सिद्धान्त पर आधारित हैं । यह धारा किसी मूल अपराध का सृजन नहीं करती अपितु साक्ष्य के एक नियम मात्र को प्रस्तुत करती है । इस धारा के अनुसार जहाँ अनेक व्यक्तियों द्वारा किये गये आपराधिक कृत्य के अनुक्रम में कोई व्यक्ति अन्य के द्वारा कारित अपराध के लिए धारा 34 के अन्तर्गत उस दशा में दायी होता है यदि वह आपराधिक कृत्य उन व्यक्तियों के सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में किया गया हो ।

सामान्य आशय के तत्व को सिद्ध करने के लिए अभियोजन को प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्य द्वारा यह साबित करना आवश्यक होता है कि उस अपराध कृत्य को करने के लिए सभी अभियुक्तों ने योजना बनाई थी चाहे ऐसी योजना पूर्व-आयोजित हो या क्षणिक आवेश में, तथापि हर स्थिति में वह अपराध घटित होने के पूर्व ही होना चाहिए ।

सारांश यह है कि धारा 34 के उपबन्ध उसी स्थिति में लागू होते हैं जहाँ दो या अधिक व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से साशय कोई अपराध कारित किया हो और ऐसी स्थिति में विधि के अंतर्गत उनमे से प्रत्येक को उस अपराध के लिए व्यक्तिगत रूप से दोषी माना जाएगा |

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