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धारा 33 क्या है | Dhara 33 Kya Hai

धारा 33 क्या है | Dhara 33 Kya Hai “ कार्य ” शब्द कार्यावली का द्योतक उसी प्रकार है जिस प्रकार एक कार्य का "लोप" शब्द लोपावली ...

धारा 33 क्या है | Dhara 33 Kya Hai


“ कार्य ” शब्द कार्यावली का द्योतक उसी प्रकार है जिस प्रकार एक कार्य का "लोप" शब्द लोपावली का द्योतक उसी प्रकार है जिस प्रकार एक लोप का ।

इस धारा में पूर्ववर्ती धारा 32 में परिभाषित कार्य को अधिक स्पष्ट किया गया है । इस धारा के अनुसार कार्य में न केवल एकल कार्य सम्मिलित है वरन् इसमें एक ही संव्यवहार निर्मित करने वाली विभिन्न कार्यों की श्रृंखला (series of acts) का भी समावेश है ।

इसी प्रकार अवैध लोप में लोपों की श्रृंखला (लोपावली) भी शामिल है । अतः धारा 32 को धारा 33 के साथ पढ़ने से यह स्पष्ट होता है । कि "कार्य' में एक या एक से अधिक कार्य हो सकते हैं और इसी प्रकार लोप में एक या एक से अधिक अवैध लोप हो सकते हैं ।

ओमप्रकाश बनाम राज्य (Omprakash Vs State) के मामले में यह विनिश्चित किया गया कि धारा 33 के अनुसार कार्य से तात्पर्य केवल एक विशिष्ट कार्य से नहीं है, बल्कि इसमें कार्यावली (कार्यों की श्रृंखला) का भी समावेश है । जहाँ एक ही कृत्य को बार-बार किया गया हो और उनमें एक-दूसरे से निकटतम सम्बन्ध हो, तो उन्हें एक-दूसरे से पृथक नहीं माना जाएगा और न एक को कारित करने का आशय दूसरे से भिन्न माना जाएगा । इसे एक उदाहरण द्वारा सरलता से समझा जा सकता है ।

जहाँ एक व्यक्ति ने किसी व्यक्ति को दस तमाचे जड़े हों, तो वह इन दस तमाचों के लिए पृथक-पृथक रूप से दण्डित नहीं किया जाएगा, क्योंकि इन सभी का आशय एक ही होने के कारण दण्ड के प्रयोजनार्थ इन्हें एक ही कृत्य माना जाएगा |

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