आपराधिक प्रकरणों में अपराधी इस आधार पर आपराधिक दायित्व से मुक्ति नहीं पा सकता कि अपराध की घटना के लिए अपराध से प्रभावित पीड़ित व्यक्ति भी उत...
आपराधिक प्रकरणों में अपराधी इस आधार पर आपराधिक दायित्व से मुक्ति नहीं पा सकता कि अपराध की घटना के लिए अपराध से प्रभावित पीड़ित व्यक्ति भी उतना ही जिम्मेदार था जितना कि वह स्वयं । इसे इस उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है :
आर बनाम स्विडाल एण्ड ओस्वोर्न । R vs Svidal & Osworn
मामला :
आर बनाम स्विडाल एण्ड ओस्वोर्न (R vs Svidal & Osworn) के वाद में अभियुक्त दौड़ की प्रतियोगिता में बहुत तेज गति से बग्गी दौड़ा रहे थे । इस कारण अभियुक्त की बग्गी ने एक राहगीर को रौंद डाला और वह मर गया । बचाव में अभियुक्त का तर्क था कि इस घटना के लिए मृतक भी उतना ही दोषी था क्योंकि वह बहरा था ।
निर्णय :
न्यायालय ने कहा कि मृतक का बहरापन, असावधानी या नशे की स्थिति में होना, अभियुक्त को आपराधिक दायित्व से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है और इन तत्वों के अलावा यह भी आवश्यक है कि अपराधी अपराध कार्य करने के लिए सक्षम होना चाहिए । उदाहरण के लिए , किसी हिजड़े पर बलात्संग का आरोप लगाना व्यर्थ होगा क्योंकि वह इस कृत्य को कर ही नहीं सकता । इसी प्रकार किसी नपुंसक व्यक्ति के विरुद्ध बलात्कार के अपराध का आरोप लगाना व्यर्थ होगा क्योंकि वह इसके लिए अक्षम है । यही कारण है कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 (Indian Penal Code Section 82) के अन्तर्गत सात वर्ष से कम आयु के बच्चे आपराधिक दायित्व से मुक्त रखे गए हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं