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IPC Act 302/34 in Hindi | Murder Act And Section | मोहम्मद मूसा मियाँ बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

IPC Act 302/34 in Hindi | Murder Act And Section | मोहम्मद मूसा मियाँ बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मोहम्मद मूसा मियाँ बनाम पश्चिम बंगाल राज्य...

IPC Act 302/34 in Hindi | Murder Act And Section | मोहम्मद मूसा मियाँ बनाम पश्चिम बंगाल राज्य


मोहम्मद मूसा मियाँ बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (Mohd. Moosa Miyan V/s State of West Bengal) के मामले में अपीलार्थी जो कि अपने पास चाकू रखे हुए जा रहा था, ने मृतक को पकड़ रखा ताकि दूसरा व्यक्ति उसे छुरा भोंक सके तथा बाद में उसने स्वयं भी मृतक पर चाकू से वार किये ।

उक्त परिस्थिति में यह निर्धारित किया गया कि उस दूसरे व्यक्ति द्वारा मृतक की हत्या करने में अपीलार्थी का सामान्य आशय शामिल था, अतः धारा 302/34 (भा॰ द॰ सं॰) Section 302/34 (I.P.C.)के अन्तर्गत उसकी दोषासिद्धि उचित ठहराई गई ।



प्रेम बनाम दौला (Prem V/s Doula) के वाद में उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि जहाँ साक्ष्य यह प्रदर्शित करते हों कि समस्त अभियुक्तगण एक साथ हथियारों से लैस होकर आए थे और मृतक के घर में अतिचार (trespass) करके उस पर प्रहार किया था, तो भा० द० सं० की धारा 34 (IPC Section 34) की सहायता से उन्हें दोषसिद्ध किया जाना न्यायोचित होगा ।



आशा उर्फ आशानन्द बनाम राजस्थान राज्य (Asha Alias Ashanand V/s State of Rajasthan) का प्रकरण हत्या से सम्बन्धित था । तीन अभियुक्त आहत (victim) व्यक्ति के स्थान पर आए । उनमें से दो ने आहत (victim) पर तेजाब फेंका तथा इसके पश्चात् उस पर तीनों ने चाकुओं से प्रहार किया । उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि इस धारा की सहायता से उनकी दोषसिद्धि की जाना उचित है ।



हरि ओम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (Hari Om V/s Uttar Pradesh State) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि यह आवश्यक नहीं है कि सामान्य आशय सदैव पूर्व-नियोजित हो, वह घटना स्थल पर आपराधिक घटना के समय एकाएक उत्पन्न हो सकता है । इस वाद में जब अभियुक्तगण मृतक के पड़ोसी के साथ गाली-गलोच कर रहे थे, मृतक ने बीच-बचाव करने का प्रयास किया जिस पर अभियुक्तों ने मृतक पर चाकू से वार किये जिससे उसकी मृत्यु हो गई ।

मृतक के रिश्तेदारों द्वारा मृतक को बचाने का प्रयत्न किया जाने पर एक अन्य अभियुक्त ने उन्हें भी चाकू से चोटें पहुँचाई ।

उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि उस अन्य अभियुक्त जो कि चाकू लिए हुए था, का उस आपराधिक कृत्य में सामान्य आशय एकाएक उत्पन्न हुआ था जिसके परिणामस्वरूप उसने मृतक के रिश्तेदारों को चोटें पहुँचाई । अतः उसे भी अन्य अभियुक्तों के साथ भा० दं० सं० की धारा 302/34 (IPC Section 302/34) के अन्तर्गत हत्या का दोषी ठहराया गया ।

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