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सम्राट् बनाम इन्दरसिंह | Samrat Vs Inder Singh | धारा ३४ | Section 34

सम्राट् बनाम इन्दरसिंह | Samrat Vs Inder Singh कभी-कभी अपराध के घटना-स्थल पर उपस्थित न रहते हुए भी अभियुक्त को धारा 34 की सहायता से अपरा...

सम्राट् बनाम इन्दरसिंह | Samrat Vs Inder Singh


कभी-कभी अपराध के घटना-स्थल पर उपस्थित न रहते हुए भी अभियुक्त को धारा 34 की सहायता से अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है ।


सम्राट् बनाम इन्दरसिंह (Samrat Vs Inder Singh) का वाद उत्कृष्ट उदाहरण है । इस वाद में बन्दूक से सुसज्जित चार अभियुक्त 'क' नामक व्यक्ति के घर लूटपाट करने के इरादे से घुसे । 'क' अनुपस्थित था अतः उसकी खोज में इन चार अभियुक्तों में से एक 'स' नामक अभियुक्त बाहर चला गया | इसी बीच लुटेरो से ‘क’ के बेटो की मुठभेड़ हो गई जिसमे एक लुटेरे ने एक बेटे को गोली से मार डाला ।

इस मामले में लाहौर उच्च न्यायालय (Lahore High Court) ने अभिनिर्धारित किया कि धारा 34 के अधीन 'स' भी हत्या के लिए दोषी था, क्योंकि घटना स्थल से अनुपस्थित होते भी वह अपराध-कार्य में संयुक्त रूप से सहभागी था । अतः अन्य अभियुक्तों के साथ 'स' को भी इस 302 के अन्तर्गत हत्या के लिए सिद्धदोष किया गया ।

लार्ड डेक्रे (Lord Dacre's case) के मामले में अभियुक्त लार्ड डेक्रे अन्य व्यक्तियों से इस बात पर सहमत हुआ कि वे किसी दूसरे व्यक्ति के पार्क में हिरण का शिकार करेंगे तथा इसका प्रतिरोध को गोली मार दी जाएगी ।

उस दल के एक व्यक्ति ने पार्क के रक्षक को गोली से मार डाला क्योंकि उसने दल को उस पार्क में आखेट करने से मना किया । इस वाद में लार्ड डेके सहित सभी को हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया यद्यपि घटना के समय लार्ड डेके घटना स्थल से लगभग दो फर्लांग दूर था तथा उसे इस प्रहार के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं था ।

सामान्य आशय से सम्बन्धित एक अन्य वाद, एम. ए. अब्दुल्ला बनाम केरल राज्य (M.A. Abdullah Vs. State of Kerala) के प्रकरण में कुछ व्यक्तियों ने मिलकर शत्रुतावश एक व्यक्ति पर हथियारों से प्रहार किया जिसके कारण उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई । घटना स्थल पर एक अन्य व्यक्ति भी उपस्थित था जो अभियुक्तों का मित्र था । इस घटना के समय वह भी हाथ में नंगी तलवार लेकर मृतक पर प्रहार करने के लिए उसकी ओर दौड़ा था, लेकिन इसी बीच कुछ व्यक्तियों ने उसे रोक लिया जिससे वह प्रहार न कर सका ।

न्यायालय ने निर्णय दिया कि इस हत्या के अपराध में अन्य अभियुक्तों के साथ इस व्यक्ति का स्पष्टतः सामान्य आशय होने के कारण वह भी धारा 34 के साथ पठित धारा 302 के अन्तर्गत हत्या के लिए दोषी था ।

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