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शिवदास बनाम राजस्थान राज्य | Shivdas Vs State of Rajasthan 1974

शिवदास बनाम राजस्थान राज्य | Shivdas Vs State of Rajasthan 1974 जहाँ अपराध कार्य में अभियुक्त की पूर्व-सहमति का कोई साक्ष्य उपलब्ध न हो ...

शिवदास बनाम राजस्थान राज्य | Shivdas Vs State of Rajasthan 1974


जहाँ अपराध कार्य में अभियुक्त की पूर्व-सहमति का कोई साक्ष्य उपलब्ध न हो वहाँ घटना स्थल पर उसकी उपस्थिति तथा फायर की आवाज सुनकर बिना कुछ किये वहाँ से भाग निकलना अपने आप में उसे सामान्य आशय का दोषी नहीं बना देगा


शिवदास बनाम राजस्थान राज्य(Shivdas Vs State of Rajasthan)(1974) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि जहाँ अपराध कार्य में अभियुक्त की पूर्व-सहमति का कोई साक्ष्य उपलब्ध न हो वहाँ घटना स्थल पर उसकी उपस्थिति तथा फायर की आवाज सुनकर बिना कुछ किये वहाँ से भाग निकलना अपने आप में उसे सामान्य आशय का दोषी नहीं बना देगा और यह नहीं कहा जा सकेगा कि अपराध कृत्य में अन्य अभियुक्तों के साथ उसकी पूर्व-सहमति थी ।


सेलिसबरी-लेंट आझिझ के मुकदमा (Salisbury-Lent liturgical Case)(1697) में तीन सिपाही किसी फलोद्यान (Orchard) को लूटने के लिए एक साथ गये तथा उनमें से दो नासपातियों के पेड़ पर चढ़े और तीसरा हाथ में तलवार ताने फलोद्यान के द्वार (फाटक) पर खड़ा रहा । इसी बीच फलोद्यान के मालिक का पुत्र वहाँ आ पहुँचा तथा उसने फाटक पर खड़े सिपाही की कॉलर पकड़कर उससे पूछा कि वह वहाँ किस लिए खड़ा है । इस पर उस सिपाही ने पुत्र के पेट में तलवार भोंककर उसकी हत्या कर दी ।

इस वाद में न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि हत्या का दोषी केवल फाटक पर खड़ा हुआ सिपाही ही होगा तथा पेड़ पर चढ़े उसके दो साथी-सिपाही निर्दोष थे क्योंकि उन सबका संयुक्त आशय फलोद्यान में अनधिकृत प्रवेश करके फलों को चुराना मात्र था न कि किसी की हत्या करने का ।

फाटक पर खड़े उनके साथी द्वारा फलोद्यान के मालिक के पुत्र को तलवार से मार डालना उसका अपना स्वयं का पृथक कृत्य था, जिसमें उन दो सिपाहियों का कोई आशय शामिल नहीं था ।

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