धारा 11 क्या है | Section 11 IPC in Hindi व्यक्ति का आशय - कोई भी कम्पनी या संगम या व्यक्ति-निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, "व्य...
धारा 11 क्या है | Section 11 IPC in Hindi
व्यक्ति का आशय - कोई भी कम्पनी या संगम या व्यक्ति-निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, "व्यक्ति" शब्द के अन्तर्गत आता है ।
इस धारा में प्रयुक्त शब्द "व्यक्ति" के अन्तर्गत कृत्रिम व्यक्ति तथा विधिक व्यक्ति भी सम्मिलित है । किसी देव-मूर्ति को भी विधिक व्यक्ति माना गया है क्योंकि वह संपत्तिधारी हो सकती है।
गर्भस्थ शिशु - इस धारा के अनुसार एक अजन्में शिशु को भी व्यक्ति माना गया है बशर्ते कि गर्भ में बच्चे के रूप में उसका समुचित विकास हो चुका हो । अतः दण्ड संहिता की धारा 301(क) के सन्दर्भ में ऐसे अजन्में शिशु को भी व्यक्ति माना गया है।
निगमित निकाय - प्राकृतिक व्यक्ति के अलावा निगमित निकायों को भी कृत्रिम वैधानिक व्यक्ति माना गया है । किन्तु निगमित निकाय वास्तविक व्यक्ति न होने के कारण उनके विरुद्ध बल्वा, हत्या, द्वि-विवाह, कूट साक्ष्य, बलात्कार, मिथ्या साक्ष्य आदि जैसे वैयक्तिक अपराधों का अभियोग नहीं चलाया जा सकता है क्योंकि ये अपराध केवल व्यक्तिगत मनुष्य ही कर सकते हैं । इसी प्रकार निगमित निकायों को उन अपराधों के लिए भी अभियोजित नहीं किया जा सकता है जिनके लिए कारावास या शारीरिक दण्ड की व्यवस्था है ।
कालू सिंह बनाम परिवहन अपीलीय अधिकरण (Kalu Singh Vs Transport Appellate Tribunal) के मामले में यह विनिश्चित किया गया कि निगमित निकाय को मात्र ऐसे अपराधों के सन्दर्भ में व्यक्ति समझा जाएगा जो केवल अर्थदण्ड से दण्डनीय है ।
कृष्णनन बनाम कृष्णावेणी (Krishnan Vs Krishnaveni) के वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि दण्ड संहिता की धारा 11 में शब्द "व्यक्ति" में राज्य (State) शामिल नहीं है ।
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