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धारा 2 क्या है । IPC Section 2 in Hindi । Dhara 2

  धारा 2 क्या है । IPC Section 2 in Hindi । Dhara 2 भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड-हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर का...

 धारा 2 क्या है । IPC Section 2 in Hindi Dhara 2


भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड-हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिये, जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा, अन्यथा नहीं


इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि भारतीय दण्ड संहिता प्रत्येक व्यक्ति पर समान रूप से लागू होगी साथ ही इस धारा में यह भी बताया गया है कि यह संहिता किन व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होगी, अर्थात् यह विधि उन सभी व्यक्तियों पर लागू होगी जो भारत में रहते हैं

इस विधि के प्रभावशील होने से समस्त अन्य दण्ड विधियाँ स्वय ही रद्द मानी जायेंगी जैसा कि पहले बताया गया है इसी के साथ ही यह व्यवस्था की गई है कि कोई व्यक्ति यदि हिन्दू है या मुसलमान, ईसाई या पुर्तगाली होयह विधि उसके भारत में निवास करने की स्थिति में उस पर समान रूप से लागू होगी इस विधि के लागू हो जाने के परिणामस्वरूप अब यह नहीं कहा जा सकेगा कि मुस्लिम विधि में चोरी की सजा अपराधी का हाथ काट देना है, इसलिए चोरी करने वाले मुसलमान को वही दण्ड दिया जाए या हिन्दू होने की दशा में उसे हिन्दू विधि के अनुसार कोड़े मारने की सजा दी जाए

भारत में प्रत्येक व्यक्ति के लिए चोरी की सजा में कारावास अथवा जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है इसलिए उसे उसी प्रकार का दण्ड दिया जाएगा । 

 

इस विषय में उच्चतम न्यायालय द्वारा ली कुन ही तथा अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य का वाद उल्लेखनीय है ।

इस वाद में एक विदेशी कम्पनी तथा भारत के बाहर रह रहे उसके विदेशी अधिकारियों के विरुद्ध धोखाधड़ी, आपराधिक न्यासभंग आदि का आरोप था क्योंकि उसने परिवादी (भारतीय कम्पनी) से क्रय किये गये माल की कीमत नहीं चुकाई थी । अभियुक्तों ने अपने बचाव में यह दलील प्रस्तुत की कि उनके विरुद्ध लगाए गए कथित आरोपों के अपराध उन्होंने भारत में नहीं किये होने के कारण भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधान उनके प्रति लागू नहीं होते हैं ।

न्यायालय ने अभियुक्तों की उस दलील को खारिज करते हुए कहा कि दण्ड संहिता की धारा 2 में प्रयुक्त शब्दावली "प्रत्येक व्यक्ति से यह स्पष्ट है कि कोई व्यक्ति केवल इस आधार पर दण्ड संहिता की परिधि के बाहर नहीं माना जा सकता कि वह विदेशी है या भारत के बाहर रह रहा है तथा कथित अपराध घटित होते समय वह भारत में नहीं था ।" यह दलील इसलिए भी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है क्योंकि इस प्रकरण में माल की आपूर्ति भारत से की गई थी तथा इसके लिए प्रतिफल भी भारत में ही देय था तथा पत्राचार भी भारत में ही हुआ था । अतः अपील खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय ने अपीलार्थियों का भारतीय दण्ड विधि के प्रावधानों के अन्तर्गत आपराधिक विचारण किया जाना उचित ठहराया । 

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