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आर. बनाम प्रिंस । R Vs Prince | Crime Act, 1861 Section 55

आर. बनाम प्रिंस । R Vs Prince मामला : सन 1875 मे आर. बनाम प्रिंस (R Vs Prince) के वाद में अभियुक्त पर सोलह वर्ष से कम आयु की एक अ...


आर. बनाम प्रिंस । R Vs Prince

मामला :

सन 1875 मे आर. बनाम प्रिंस (R Vs Prince) के वाद में अभियुक्त पर सोलह वर्ष से कम आयु की एक अविवाहित बालिका का अपहरण करने का आरोप था, जो अपराध अधिनियम, 1861 की धारा 55(Crime Act, 1861 Section 55) के अनुसार दण्डनीय अपराध था । अपने बचाव में अभियुक्त का तर्क था कि उसने यह समझा कि बालिका की आयु सोलह वर्ष से अधिक है, अत: इसमें उसका कोई दुराशय नहीं था ।

निर्णय :

न्यायाधीश ब्लेकबर्न (Judge Blackburn) ने अभिकथन किया कि ऐसे मामलों में जिनमें लोक-कल्याण या जन-सुरक्षा आदि का प्रश्न सम्मिलित हो, आन्वयिक दुराशय का सिद्धान्त लागू होगा तथा वास्तविक आशय या जानकारी न होते हुए भी अपराधी को दण्डित किया जा सकेगा|

अपराधी के आपराधिक आशय को अपराध का आवश्यक तत्व माना गया है, फिर भी निम्नलिखित अपराधों के लिए इसका होना आवश्यक नहीं है -

(1) ऐसे कृत्य जो वस्तुत: अपराध नहीं हैं किन्तु लोक-कल्याण से सम्बन्धित होने के कारण जिनके लिए दण्ड का प्रावधान है, जैसे, राजस्व सम्बन्धी कानून का उल्लंघन(Violation of revenue law), कम्पनी विधि (company law) के अधीन दण्डनीय अपराध आदि । (2) ऐसे अपराध जो विशिष्ट कानून के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध माने गए हैं, जैसे - दहेज निवारण सम्बन्धी अधिनियम(dowry prevention act), आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955(Essential Commodities Act, 1955), अनुसूचित जाति एवं जनजाति (क्रूरता निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Castes and Tribes (Prevention of Cruelty) Act, 1989) आदि ।

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