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हत्या का मामला | छीतरमल बनाम राजस्थान राज्य | Murder Case Study | Chhitarmal Vs State of Rajasthan

हत्या का मामला | छीतरमल बनाम राजस्थान राज्य | Murder Case Study | Chhitarmal Vs State of Rajasthan छीतरमल बनाम राजस्थान राज्य(सन 2003)( ...

हत्या का मामला | छीतरमल बनाम राजस्थान राज्य | Murder Case Study | Chhitarmal Vs State of Rajasthan


छीतरमल बनाम राजस्थान राज्य(सन 2003)( Chhitarmal Vs State of Rajasthan (2003)) के मामले में यह साबित हो चुका था कि अपीलार्थीगण अभियुक्त एक साथ घातक हथियारों से लैस होकर आए और उन्होंने एक साथ दो मृतकों पर प्रहार कर दिया । गंभीर चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई । प्रत्यक्षदर्शी साक्षी जो उसी कमरे में सो रहा था जाग उठा । अभियुक्तों ने उस पर भी प्रहार किया जिससे उसको 24 उपहतियाँ कारित हुई ।

अपीलार्थीगण-अभियुक्तों के अलावा अन्य अभियुक्त उस आधार पर दोषमुक्त कर दिए गए कि वे अपीलार्थियों के साथ आयुधों सहित नहीं आए थे, वे सामान्य उद्देश्य में सहभागी नहीं थे और न उन्होंने मृतकों अथवा प्रत्यक्षदर्शी साक्षी पर प्रहार करने में भाग लिया था । इस प्रकार अपराध में सहभागियों की संख्या पाँच से कम हो जाने के कारण धारा 302 सहपठित धारा 149 के अधीन दोषसिद्धि कायम न रह सकी । तथापि अपीलार्थीगण को धारा 302 सहपठित धारा 34 के अधीन दोषसिद्ध किया जा सकता है, भले ही आरोप धारा 302 सहपठित धारा 149 के अधीन विरचित किए गए थे, क्योंकि अभिलिखित निष्कर्षों के आधार पर निस्संदेह वे सामान्य आशय के सहभागी थे और उन्होंने उसे अग्रसर करने में कार्य किया था । प्रत्यक्ष रूप से कार्य करना और सक्रिय रूप से भाग लेना अपराध कारित करने वाले व्यक्तियों के सामान्य आशय का सूचक होगा । उन्होंने संयुक्त रूप से कार्य करके मृतकों को समाप्त करने की पूर्व नियोजित योजना को क्रियान्वित किया था ।

अत: उच्चतम न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि धारा 302 सहपठित धारा 34 के अधीन न्यायोचित ठहराई ।

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