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राज्य बनाम हीरा दुबे | State Vs Heera Dubey | Section 34

राज्य बनाम हीरा दुबे | State Vs Heera Dubey | Section 34 आपराधिक कार्य किया गया हो धारा 34 लागू होने के लिए किसी आपराधिक कार्य का घट...

राज्य बनाम हीरा दुबे | State Vs Heera Dubey | Section 34


आपराधिक कार्य किया गया हो


धारा 34 लागू होने के लिए किसी आपराधिक कार्य का घटित होना आवश्यक है । अभियुक्त ने अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से मिलकर आपराधिक कार्य में किसी न किसी रूप में भाग लिया होना आवश्यक है तथा केवल योजना बनाने में शामिल होने मात्र उसके प्रति धारा 34 लागू नहीं होगी ।

उल्लेखनीय है कि 'कार्य' शब्द में 'कार्य-लोप' भी शामिल है जैसा कि पूर्ववर्ती धारा 33 में उपबन्धित है।

इस सन्दर्भ में यह उल्लेख कर देना भी आवश्यक है कि धारा 34 के सन्दर्भ में 'कार्य' शब्द में किसी कार्य की श्रृंखला के घटित विभिन्न कार्यों का भी समावेश है क्योंकि एकल व्यक्ति सामान्य आशय गठित नहीं कर सकता । धारा 34 के निर्धारण में यदि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों का सामान्य आशय साबित करने में असफल रहता है, तो उस दशा में प्रत्येक अभियुक्त अपने कृत्य के लिए दायी होगा परन्तु सामान्य आशय सिद्ध कर दिया जाने की दशा में उन अभियुक्तों में से प्रत्येक को उस समूचे कार्य के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा जैसे कि वह कार्य उसने स्वयं अकेले ही किया हो ।


राज्य बनाम हीरा दुबे | State Vs Heera Dubey


राज्य बनाम हीरा दुबे (State Vs Heera Dubey) 1951, पटना के वाद में अनेक व्यक्तियों ने मिलकर किसी व्यक्ति पर लाठी से वार किये थे । यदि इनमें से एक की लाठी के वार के कारण वह व्यक्ति मर जाता, तो सभी हमलावर व्यक्ति धारा 302/34 के अन्तर्गत हत्या के लिए दोषी होते तथा उनके द्वारा अपने बचाव में यह तर्क प्रस्तुत किया जाना व्यर्थ होता कि मृत्यु किसी एक व्यक्ति के लाठी के वार के कारण हुई है जो वह स्वयं नहीं था ।

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