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पांडुरंग बनाम हैदराबाद राज्य | Pandurang Vs State Of Hyderabad | Section 302/34 IPC

पांडुरंग बनाम हैदराबाद राज्य (1955) | Pandurang Vs State Of Hyderabad (1955) | Section 302/34 IPC रामचन्द्र साल्के नामक एक व्यक्ति अपनी ...

पांडुरंग बनाम हैदराबाद राज्य (1955) | Pandurang Vs State Of Hyderabad (1955) | Section 302/34 IPC


रामचन्द्र साल्के नामक एक व्यक्ति अपनी साली रसिकाबाई तथा नौकर सुभानराव के साथ खेतों से मिर्ची तोड़ने के लिए गया । रसिकाबाई तथा सुभानराव एक खेत से मिर्ची तोड़ रहे थे तथा रामचन्द्र साल्के लगभग एक फर्लांग दूर अन्य खेत से मिर्ची तोड़ रहा था । इसी बीच रसिकाबाई ने रामचन्द्र की ओर से खतरे के संकेत की आवाज सुनाई देने पर वह सुभानराव के साथ उस ओर दौड़ी । इन दोनों ने देखा कि कोई पांच व्यक्ति मिलकर रामचन्द्र पर लाठियों तथा कुल्हाड़ी से प्रहार कर रहे थे । रसिकाबाई ने हमले का विरोध किया परन्तु हमलावरों ने उसे गम्भीर परिणामों की धमकी देकर चुप कर दिया । रामचन्द्र की उसी समय घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई ।

सभी पांच अभियुक्तों के विरुद्ध धारा 34 के साथ पठित धारा 302 के अन्तर्गत 'हत्या' के लिए अभियोजन चलाया गया । उच्चतम न्यायालय ने अपीलार्थी पांडुरंग को हत्या का दोषी न मानते हुए धारा 326 के अन्तर्गत गम्भीर चोट के लिए सिद्धदोष ठहराया । उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि विभिन्न व्यक्ति एक साथ किसी व्यक्ति पर प्रहार कर सकते हैं तथा उनमें से प्रत्येक का इरादा उस व्यक्ति को मार डालने का हो सकता है तथा इस आशय से उनमें से प्रत्येक व्यक्ति घातक प्रहार कर सकता है ।

लेकिन इतना सब-कुछ होते हुए भी उनमें से किसी के भी आशय को सामान्य आशय नहीं कहा जा सकेगा क्योंकि इनके कृत्य में पूर्व-नियोजित योजना (pre-arranged plan) का अभाव था । आशय यह है कि विभिन्न व्यक्तियों का उद्देश्य एक ही हो सकता है लेकिन आवश्यक नहीं कि वह 'सामान्य आशय' हो जब तक कि वे पूर्व-योजनाबद्ध तरीके से उस कार्य को नहीं करते ।

परीक्षित बनाम मध्य प्रदेश राज्य (Parikshit vs. State of Madhya Pradesh) ">के वाद में उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि किसी पूर्व विचार-विमर्श या योजना के सबूत के अभाव में मारपीट में भाग लेने वाले अभियुक्तों को धारा 34 की सहायता से सिद्धदोष नहीं माना जा सकता, जब तक कि यह सिद्ध न कर दिया जाए कि उन्होंने पूर्व नियोजित ढंग से वह अपराध-कार्य किया था । केवल यह साबित मात्र कर देना कि आरोपित व्यक्ति मुख्य अभियुक्त के साथ थे जिसने कि गम्भीर चोटें पहुँचाकर मृतक की हत्या कर दी जो खेत में फसल काट रहा था, धारा 34 लागू होने के लिए पर्याप्त नहीं होगा ।

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