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मध्य प्रदेश राज्य बनाम देशराज | कश्मीरा सिंह बनाम पंजाब राज्य | Kashmira Singh Vs. State Of Punjab | Madhya Pradesh State Vs Deshraj

मध्य प्रदेश राज्य बनाम देशराज | कश्मीरा सिंह बनाम पंजाब राज्य | Kashmira Singh Vs. State Of Punjab | Madhya Pradesh State Vs Deshraj मध...

मध्य प्रदेश राज्य बनाम देशराज | कश्मीरा सिंह बनाम पंजाब राज्य | Kashmira Singh Vs. State Of Punjab | Madhya Pradesh State Vs Deshraj


मध्य प्रदेश राज्य बनाम देशराज 2004 (Madhya Pradesh 2004) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि धारा 34 का अधिनियमन आपराधिक कृत्य करने में संयुक्त दायित्व के सिद्धान्त पर किया गया है । यह धारा साक्ष्य का नियम मात्र है तथा इससे मुख्य अपराध सृजित नहीं होता । इस धारा का विशिष्ट लक्षण है, कार्य में सहभागिता का तत्व । अनेक व्यक्तियों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य के अनुक्रम में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के लिए किसी व्यक्ति का दायित्व धारा 34 के अधीन तब उद्भूत होता है यदि वह आपराधिक कृत्य उन व्यक्तियों का सामान्य आशय अग्रसर करने के लिए किया गया हो जो अपराध करने के लिए साथ जुड़े थे ।

सामान्य आशय का प्रत्यक्ष सबूत कम ही उपलब्ध होता है, इसलिए मामले के तथ्यों से प्रकट परिस्थितियों तथा साबित परिस्थितियों से ऐसे आशय का अनुमान मात्र किया जा सकता है । सामान्य आशय का आरोप सिद्ध करने के लिए अभियोजन पक्ष को साक्ष्य द्वारा, चाहे वह प्रत्यक्ष हो अथवा पारिस्थितिक, यह स्थापित करना होता है कि सभी अभियुक्तों की वह अपराध करने की योजना थी या विचारों की सम्मति (meeting of mind) थी जिसका आरोप इन पर धारा 34 की सहायता से लगाया गया है, चाहे वह पूर्वयोजित रही हो या उसी क्षण हुई हो । परन्तु वह आवश्यक रूप से अपराध किए जाने से पूर्व होना चाहिए । इस धारा का वास्तविक सारांश यह है कि यदि दो या दो से अधिक व्यक्ति कोई कार्य साशय संयुक्त रूप से करते हैं तब विधि में स्थिति वैसी ही होगी मानो उनमें से प्रत्येक ने उसे स्वयं वैयक्तिक रूप से किया है ।

कश्मीरा सिंह बनाम पंजाब राज्य 1979 (Kashmira Singh Vs. State Of Punjab) 1979 के मामले में तीन अभियुक्तों को धारा 302/34 के अन्तर्गत हत्या के लिए सिद्धदोष किया गया क्योंकि साक्ष्य के आधार पर यह निर्विवाद रूप से साबित हो चुका था कि तीनों अभियुक्तों ने मृतक जोगेन्दर सिंह की हत्या कारित करने की पूर्व-योजना बनाई थी तथा इस हेतु वे तीनों हथियारों से लैस होकर एक साथ घटनास्थल पर आये तथा इनमें से एक ने मृतक पर गोली से वार किया था । उच्चतम न्यायालय ने अभिकथन किया कि धारा 34 लागू किये जाने का इससे बढ़िया कोई अन्य मामला उद्धृत नहीं किया जा सकता ।

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