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अपराधी की मानसिक स्थितियों का ध्यान रखना भी अदालतों का कर्तव्य | It is also the duty of the courts to take care of the mental conditions of the criminal

अपराधी की मानसिक स्थितियों का ध्यान रखना भी अदालतों का कर्तव्य | It is also the duty of the courts to take care of the mental conditions of ...

अपराधी की मानसिक स्थितियों का ध्यान रखना भी अदालतों का कर्तव्य | It is also the duty of the courts to take care of the mental conditions of the criminal


कोर्ट : नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट | New Delhi Supreme Court

मामला : मौत की सजा को ३० साल की अवधि के लिए आजीवन कारावास में परिवर्तित करते हुए यह टिप्पणी की


नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट (New Delhi Supreme Court) ने कहा है कि अदालतों का कर्तव्य है कि वे न सिर्फ अपराध बल्कि अपराधी, उसकी मानसिक स्थिति और सामाजिक स्थितियों को भी ध्यान में रखें ।

न्यायमूर्ति नागेश्वर राव (Justice Nageshwar Rao) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह अदालतों का कर्तव्य है कि वे आरोपी के सुधार और पुनर्वास की संभावना पर विचार करें ।

पीठ ने कहा, “स्थापित कानूनी स्थिति को देखते हुए, आरोपी के सुधार और पुनर्वास की संभावना को ध्यान में रखना हमारा कर्तव्य है।“

शीर्ष अदालत ने संपत्ति विवाद में अपने दो भाई-बहनों और अपने भतीजे की हत्या के दोषी एक व्यक्ति, की मौत की सजा को ३० साल की अवधि के लिए आजीवन कारावास में परिवर्तित करते हुए यह टिप्पणी की । शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य (मध्य प्रदेश) ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया है, जिससे कि यह पता चले कि दोषी के सुधार या पुनर्वास के संबंध में कोई संभावना नहीं है ।

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