धारा 20 क्या है | Section 20 IPC in Hindi “ न्यायालय “ शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अकेले ही को न्यायिकतः कार्य करने के लिये विधि द्वारा स...
धारा 20 क्या है | Section 20 IPC in Hindi
“ न्यायालय “ शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अकेले ही को न्यायिकतः कार्य करने के लिये विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, या उस न्यायाधीश निकाय का, जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकत: कार्य करने के लिये विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश निकाय न्यायिकतः कार्य कर रहा हो, द्योतक है ।
मद्रास संहिता के सन् 1816 के 4 विनियम 7 के अधीन कार्य करने वाली पंचायत, जिसे वादों का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है ।
धारा 20 में प्रयुक्त “ न्याय के न्यायालय “ शब्द से आशय उस भवन या इमारत से नहीं है जिसमें न्यायिक कार्य सम्पन्न होते हैं अपितु उस स्थान से हैं जहाँ न्यायाधीश या न्यायाधीशगण न्यायिक कार्यवाही का संचालन करते हैं । जिस समय न्यायाधीश प्रशासनिक कार्य कर रहे होते हैं, तब वे “न्याय के न्यायालय “ नहीं होते हैं इस धारा में दी गई “ न्याय के न्यायालय “ की परिभाषा से स्पष्ट है कि इसके लिए तीन बातों का होना आवश्यक है –
1. कोई न्यायाधीश या न्यायाधीशों का निकाय होना चाहिए;
2. न्यायाधीश या न्यायाधीशों के निकाय को विधि-द्वारा न्यायिक कार्य करने के लिए सक्षम किया गया हो ।
3. तत्समय ये न्यायिक कार्य कर रहे होना चाहिए ।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 3 के अनुसार पद “ न्यायालय “ के अन्तर्गत सभी न्यायाधीश एवं मजिस्ट्रेट तथा ऐसे सभी व्यक्तियों (मध्यस्थों को छोड़कर) का समावेश है जो साक्ष्य लेने के लिए अधिकृत है ।
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