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धारा 4 क्या है । IPC Section 4 in Hindi । Dhara 4

  धारा 4 क्या है । IPC Section 4 in Hindi । Dhara 4   राज्य क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार * भारत से बाहर और परे किसी स्थान म...

 धारा 4 क्या है । IPC Section 4 in Hindi Dhara 4

 राज्य क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार


* भारत से बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा और भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा किये गये किसी अपराध को भी लागू है
* भारत से बाहर और परे किसी स्थान में किसी व्यक्ति द्वारा भारत में स्थित किसी कम्प्यूटर स्त्रोत को निशाना बनाने का अपराध करने पर भी लागू है ।


इस धारा में :    

"अपराध" शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दण्डनीय अपराध होता    

"कम्प्यूटर स्रोत" अभिव्यक्ति का वही अर्थ होगा जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्ड (ट) में शामिल है ।

 

यह धारा इस मूलभूत सिद्धान्त पर आधारित है कि अपने देश के नागरिकों के प्रति न्यायालय को सदैव अधिकारिता रहती है चाहे अपराध देश के भीतर किया गया हो या देश के बाहर । इस धारा का उद्देश्य यह है कि भारत के बाहर किसी भी स्थान पर भारतीय नागरिक द्वारा या भारत में पंजीकृत किसी पोत या विमान पर चाहे जहाँ भी हो, किसी व्यक्ति द्वारा भारतीय दण्ड विधि के अन्तर्गत अपराध किये जाने पर दण्ड संहिता के नियम लागू होंगे ।

उदाहरणार्थ, यदि कोई भारतीय नागरिक सिंगापुर में किसी व्यक्ति की हत्या करता है, तो उस पर भारत में जहाँ भी वह मिले, हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है ।

इस धारा का मूल आशय यह स्पष्ट करना है कि भारतीय दण्ड संहिता भारत के बाहर किये गए अपराधों के लिए किस सीमा तक लागू होती है । यदि कोई अपराध भारत के बाहर कारित हो लेकिन अपराधी भारत की सीमा के अन्दर पाया जाए तो -

(1) उसे उस देश में विचारण हेतु भेजा जा सकता है, जहाँ उसने अपराध किया था । इसे ' प्रत्यर्पण ' भी कहते हैं ।

(2) क्षेत्रातीत अधिकारिता का प्रयोग करते हुए उस अपराधी के विरुद्ध भारत में ही मुकदमा चलाया जा सकता है ।

 

प्रत्यर्पण सम्बन्धी विधि । Extradiction Law | प्रत्यर्पण का अर्थ


प्रत्यर्पण का अर्थ है शरणार्थी । भगोड़े या फरार अपराधी को एक राज्य या राष्ट्र द्वारा दूसरे राज्य या राष्ट्र को विचारण हेतु लौटाया जाना ताकि वह राज्य या राष्ट्र जिसे उसे लौटाया गया है, उस अपराधी को दण्डित कर सके

प्रत्यर्पण के लिए राज्यों के बीच संधि (Treaty) होने की दशा में ही अपराधियों का प्रत्यर्पण सम्भव है प्रत्यर्पण किसी भी व्यक्ति का किया जा सकता है चाहे वह भारत का नागरिक हो या विदेशी । प्रत्यर्पण की विधि को देशों के दीन सौजन्यता का प्रतीक माना गया है तथा इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि अपराधी दण्डित होने से बच न जाए ।

किसी देश द्वारा अन्य देश से किसी अपराधी के प्रत्यर्पण की माँग की जाने की दशा में निर्णय उस राज्य या राष्ट्र को लेना होता है जिससे प्रत्यर्पण की मांग की गई हो, क्योंकि यह उस राज्य या राष्ट्र की घरेलू कानून का प्रश्न होता है तथा यदि अपराध राजनैतिक स्वरूप का हो, तो अपराधी का प्रत्यर्पण न करते हुए उसे राजनैतिक शरण भी दी जा सकती है ।

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